ganesha story | dadi maa ki kahaniya | ganesh ji ki katha | ganesh ji ki kahani | Ganesh chaturthi | ganesh murti katha

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आज के पोस्ट में एक बहुत ही सुन्दर कहानी है ganesh ji ki katha (ganesha story) जो मुझे मेरी दादी अक्सर सुनाया करती थी। तो आज की कहानी है ganesh ji ki kahani है dadi maa ki kahaniyan से ।
एक गावं था जिसमे एक सेठ अपने परिवार के साथ रहता था। सेठ का गावं और आस पास के शहर में बड़ा व्यापार था। सेठजी का गणेश जी में बहुत विशवास था। क्योकि उनका मानना था की उसके परिवार की हर खुशहाली का कारण वे ही थे।
 नियम अनुसार रोज वो नदी पर नहाने जाते और आकर गणेश जी की पूजा करते उन्हें भोग लगते और फिर स्वयं भोजन करते थे। यह बात सेठानी जी को अच्छी नही लगती थी। वो धार्मिक नहीं थी और इश्वर में इतना विश्वास नही रखती थी। एक बार सेठानी जी ने सोचा की यह इतना गणेश जी को मानते है, गणेश जी की पूजा करते है इससे होता क्या है। आज तो देखती हु वो केसे गणेश जी की पूजा करते है। अगले दिन जब सेठ जी नदी पर नहाने जाते है तो सेठानी जी गणेश जी की मूर्ति को उठा कर मूर्ति को कपडे से ढक कर बगीचे में जमीं में दबा देती है। जब सेठ जी नदी पर से नहा कर घर आते है और देखते है की गणेश जी की मूर्ति तो मंदिर में नही है तो वो सेठानी से पूछते है गणेश जी की मूर्ति मंदिर में नहीं हे कहा गयी तो सेठानी जी बोलती है मुझे नही मालूम। मूर्ति को घर में बहुत ढूंडा जाता है  उस दिन क्योकि वो गणेश जी को भोग नही लगा पाए इसके लिए खाना नही खाते है और गणेश जी से प्राथना करते है की प्रभु लगता है आप मुझसे नाराज हो गये हो और कही चले गये हो। 
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अब जब तक आप वापिस नही आते में खाना नही खाऊंगा उस दिन पूरा निकल जाता है। सेठ की भक्ति में अनन्य श्रद्धा थी इस लिए उसी रात एक चमत्कार हुआ सेठ को सपना आया जिसमे वे एक छोटे से चूहे के साथ खेल रहे होते है और चूहे को खाने को लड्डू देते है। चूहा लड्डू लेकर बगीचे में जाता है और जमीं को खोदता है और लड्डू वही डाल देता है। अचानक सेठ जी की नींद खुल जाती है। सेठ जी बगीचे में जाते है और वही खोदते है जहा उनको सपने में दिखा था और वही से उनको कपडे में लिपते हुए गणेश जी की मूर्ति दिखती है। सेठ जी गणेश जी की मूर्ति की पूजा करके उनको वापिस स्थान पर रखते है और सेठानी को सब बात बताते है। बात जानकर सेठानी की को आश्चर्य होता है और अपनी गलती का एहसास होता है वो सेठ जी को सारी बात बताती है और माफ़ी मांगती है। अब सेठ व सेठानी दोनों गणेश जी की पूजा करते है।
“सच्ची श्रद्धा हो तो इश्वर जमीन फाड़कर भी निकलते है, सच्ची श्रद्धा और विश्वास भी इश्वर का ही एक रूप है”